प्रैस रिलीज
एफडीआई पर संसद में हुई जीत से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नए जोष में आ गए हैं। उन्होंने खुदरा में एफडीआई का विरोध करने वालों पर निषाना साधते हुए कहा है कि या तो उन्हें दुनिया की वास्तविकताओं का पता नहीं है या वे पुरानी विचारधारा में जकड़े हैं। पुरानी विचारधारा से उनकी मुराद समाजवाद से है। भारत के संविधान की उद्देषिका में ‘समाजवाद’ षब्द लिखा है। संविधान के भाग चार में उल्लिखित ‘राज्य के नीति-निर्देषक तत्व’ राजनीतिक पार्टियों और सरकारों के लिए घोषणापत्र का काम करते हैं कि वे देष में जल्द से जल्द सामाजिक-आर्थिक समानता कायम करें। सोषलिस्ट पार्टी का मानना है कि नवउदारवादी प्रधानमंत्री का निषाना सीधे देष के संविधान पर है। वैष्विक आर्थिक संस्थाओं का हुक्म बजाते हुए देष पर नवउदारवादी तानाषाही थोपने वाले प्रधानमंत्री संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद षब्द और संविधान से राज्य के नीति-निर्देषक तत्वों को हटाने का प्रस्ताव संसद में लाएं। एफडीआई पर सरकार का समर्थन करने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों को सोषलिस्ट पार्टी की यह चुनौती है।
सोषलिस्ट पार्टी प्रधानमंत्री को बताना चाहती है कि उन्हें खुद वैष्विक वास्तविकताओं की जानकारी नहीं है। उनके लिए विष्व से मुराद केवल पूंजीवादी नवसाम्राज्यवाद का पुरोधा अमेरिका और यूरोप के विकसित पूंजीवादी देष हैं। इन देषों की कंपनियों ने बाकी दुनिया में लूट और तबाही मचाई हुई है। इनके चलते दुनिया भारी हिंसा, असुरक्षा, भय और भूख की चपेट में है। भारत में नवउदारवादी दौर में कई लाख किसान आतमहत्या कर चुके हैं। कई करोड़ लोग भूख और कुपोषण का षिकार हैं। करोड़ों लोग विस्थापित हो चुके हैं। खुदरा में वालमार्ट, कारफुर और टेस्को जैसी भीमकाय कंपनियों के आने से करीब 4 करोड़ खुदरा व्यापारियों और उन पर निर्भर करीब 25 करेाड़ परिजनों की ही तबाही नहीं होगी, किसान भी बुरी तरह प्रभावित होंगे।
लेकिन प्रधानमंत्री को इस दुनिया से सरोकार नहीं है। उनके लिए अमीरों की दुनिया ही वास्तविकता है। नवउदारवादी सुधारों को तेज करके आर्थिक वृद्धि की दर बढ़ाने का प्रधानमंत्री का एलान अमीरों की दुनिया को ज्यादा अमीर बनाने का एलान है। उन्होंने गरीबों को अलबत्ता छूट दी है कि वे चाहें तो आत्महत्या कर लें, चाहें तो बीमारी और कुपोषण की हालत में एडि़यां रगड़-रगड़ कर मर जाएं।
सोषलिस्ट पार्टी ने षुरू से लगातार नवउदारवादी नीतियों और उनके नए संस्करण एफडीआई का विरोध किया है। पार्टी आगे और ज्यादा मजबूती से जनता के बीच जाकर इस संविधान विरोधी ओर गरीब विरोधी फैसले का विरोध करेगी।
डाॅ. प्रेम सिंह
महासचिव व प्रवक्ता
एफडीआई पर संसद में हुई जीत से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नए जोष में आ गए हैं। उन्होंने खुदरा में एफडीआई का विरोध करने वालों पर निषाना साधते हुए कहा है कि या तो उन्हें दुनिया की वास्तविकताओं का पता नहीं है या वे पुरानी विचारधारा में जकड़े हैं। पुरानी विचारधारा से उनकी मुराद समाजवाद से है। भारत के संविधान की उद्देषिका में ‘समाजवाद’ षब्द लिखा है। संविधान के भाग चार में उल्लिखित ‘राज्य के नीति-निर्देषक तत्व’ राजनीतिक पार्टियों और सरकारों के लिए घोषणापत्र का काम करते हैं कि वे देष में जल्द से जल्द सामाजिक-आर्थिक समानता कायम करें। सोषलिस्ट पार्टी का मानना है कि नवउदारवादी प्रधानमंत्री का निषाना सीधे देष के संविधान पर है। वैष्विक आर्थिक संस्थाओं का हुक्म बजाते हुए देष पर नवउदारवादी तानाषाही थोपने वाले प्रधानमंत्री संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद षब्द और संविधान से राज्य के नीति-निर्देषक तत्वों को हटाने का प्रस्ताव संसद में लाएं। एफडीआई पर सरकार का समर्थन करने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों को सोषलिस्ट पार्टी की यह चुनौती है।
सोषलिस्ट पार्टी प्रधानमंत्री को बताना चाहती है कि उन्हें खुद वैष्विक वास्तविकताओं की जानकारी नहीं है। उनके लिए विष्व से मुराद केवल पूंजीवादी नवसाम्राज्यवाद का पुरोधा अमेरिका और यूरोप के विकसित पूंजीवादी देष हैं। इन देषों की कंपनियों ने बाकी दुनिया में लूट और तबाही मचाई हुई है। इनके चलते दुनिया भारी हिंसा, असुरक्षा, भय और भूख की चपेट में है। भारत में नवउदारवादी दौर में कई लाख किसान आतमहत्या कर चुके हैं। कई करोड़ लोग भूख और कुपोषण का षिकार हैं। करोड़ों लोग विस्थापित हो चुके हैं। खुदरा में वालमार्ट, कारफुर और टेस्को जैसी भीमकाय कंपनियों के आने से करीब 4 करोड़ खुदरा व्यापारियों और उन पर निर्भर करीब 25 करेाड़ परिजनों की ही तबाही नहीं होगी, किसान भी बुरी तरह प्रभावित होंगे।
लेकिन प्रधानमंत्री को इस दुनिया से सरोकार नहीं है। उनके लिए अमीरों की दुनिया ही वास्तविकता है। नवउदारवादी सुधारों को तेज करके आर्थिक वृद्धि की दर बढ़ाने का प्रधानमंत्री का एलान अमीरों की दुनिया को ज्यादा अमीर बनाने का एलान है। उन्होंने गरीबों को अलबत्ता छूट दी है कि वे चाहें तो आत्महत्या कर लें, चाहें तो बीमारी और कुपोषण की हालत में एडि़यां रगड़-रगड़ कर मर जाएं।
सोषलिस्ट पार्टी ने षुरू से लगातार नवउदारवादी नीतियों और उनके नए संस्करण एफडीआई का विरोध किया है। पार्टी आगे और ज्यादा मजबूती से जनता के बीच जाकर इस संविधान विरोधी ओर गरीब विरोधी फैसले का विरोध करेगी।
डाॅ. प्रेम सिंह
महासचिव व प्रवक्ता
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