12 मार्च 2018
प्रेस रिलीज
कारपोरेट पूंजीवाद की और चीन की 'लंबी' छलांग
Dr. Prem Singh, President Socialist Party (India) |
सोशलिस्ट पार्टी चीन के राष्ट्रपति शी पिंग को आजीवन राष्ट्रपति बनाए रखने के नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के फैसले को कारपोरेट पूंजीवाद की एक बड़ी जीत के रूप में देखती है. नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने कल चीन के संविधान में इस आशय के संशोधन को लगभग पूर्ण बहुमत के साथ मंजूरी दी है. संविधान संशोधन का यह प्रस्ताव चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने रखा था. राष्ट्रपति शी पिंग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अनिश्चित समय के लिए महासचिव हैं. वे केन्द्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष भी हैं जिसके आदेशों का पालन चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) करती है. चीन के सत्ताधीशों द्वारा लिया गया यह फैसला लोकतांत्रिक मूल्यों अथवा संस्थाओं के हनन का नहीं है. चीन में एकदलीय शासन प्रणाली है और सभी जानते हैं कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस एक रबर स्टाम्प है जिसके जरिये चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शक्तिशाली नेताओं की इच्छाओं को संवैधानिक जामा पहनाया जाता है.
सोशलिस्ट पार्टी का मानना है कि इस फैसले के साथ चीन के शासक वर्ग ने कारपोरेट पूंजीवाद की दिशा में 'लंबी' छलांग लगाईं है. चीन के शासक वर्ग द्वारा गढ़े गए 'बाजारी समाजवाद' (मार्किट सोशलिज्म) अथवा 'चीनी चरित्र का समाजवाद' भ्रमित करने वाले पद हैं. ये समाजवाद की वास्तविक अवधारणा और सिद्धांतों से बाहर, कारपोरेट पूंजीवाद की प्रयोगशाला में गढ़े गए हैं. चीन के शासक वर्ग का 'समाजवाद' कारपोरेट पूंजीवाद का अभिन्न हिस्सा है और शी पिंग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में उसके सबसे मज़बूत स्तम्भ हैं.
दरअसल, कारपोरेट जगत ने अपनी लूट और मुनाफाखोरी को पक्का और स्थाई बनाए रखने के लिए अपने नेता बनाना शुरु कर दिया है. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप, रूस में ब्लादिमीर पुतिन, चीन में शी पिंग, भारत में नरेन्द्र मोदी कारपोरेट द्वारा बनाए गए नेताओं में प्रमुख नाम हैं.दुनिया के लोकतांत्रिक समाजवादी आंदोलन और विचारधारा के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती का दौर है.
डॉ. प्रेम सिंह
अध्यक्ष
मोबाइल : 8826275067
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