प्रेस रिलीज
नीरज कुमार, अध्यक्ष सोशलिस्ट युवजन सभा |
सोशलिस्ट युवजन सभा का मानना हैं कि यदि विश्वविद्यालय
अनुदान आयोग द्वारा
मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की
नियुक्ति के नियमों में एक बड़ा परिवर्तन करने का प्रस्ताव आरक्षण विरोधी, एससी,
एसटी और ओबीसी के साथ धोखा हैं | यदि इस प्रस्ताव को मंत्रालय की स्वीकृति मिल
जाती है, तो विश्वविद्यालयों और इससे संबंध
कॉलेजों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित होने वाले शिक्षक पदों में भारी
कमी हो जाएगी | यूजीसी का प्रस्ताव यह कहता है कि विश्वविधालय में आरक्षण लागू
करते समय पूरे विश्वविद्यालय
को इकाई मानने की जगह अलग-अलग विषयों/ विभागों को इकाई माना
जाए | अभी तक विश्वविद्यालय
में पूरे विश्वविद्यालय
को एक इकाई मानकर आरक्षण लागू किया जाता था | यूजीसी के इस
प्रस्ताव से अनुदान प्राप्त 41 केंद्रीय विश्वविद्यालय
में रिक्त पड़े 5997 पदों पर होने वाली नियुक्तियों पर भी
पड़ेगा | केंद्रीय विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट
प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के कुल 17106 पद है | इसमें से 5997 पद
रिक्त है | जो कुल पदों का 35 प्रतिशत है | यदि विश्वविद्यालय
को इकाई मानने का नियम जारी रहता है तो कम-से-कम 3000 के
आसपास पदों पर एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों से आने वाले शिक्षकों को नियुक्त करना
बाध्यता होती | साथ ही कुछ पद दिव्यागों के हिस्से भी जाते, जिनके लिए चार प्रतिशत
आरक्षण है | पर यदि विभाग को इकाई मानने की यूजीसी का नया प्रस्ताव लागू होता है,
तो इन समुदायों के नहीं के बराबर शिक्षक नियुक्त होंगे | दिव्यागों को तो शायद ही
कोई पद प्राप्त हो पाए | शिक्षा जगत, समाज, राष्ट्र और विशेष तौर पर बहुजनों पर
इसका कितना गंभीर और दूरगामी असर पड़ेगा, इसकी आसानी से कल्पना की जा सकती हैं |
सोशलिस्ट युवजन सभा मांग करती हैं कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग इस प्रस्ताव को अविलम्ब वापस ले |
नीरज कुमार
अध्यक्ष
सोशलिस्ट युवजन सभा
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