Wednesday, 13 June 2012

अभिव्यक्ति की आजादी संवैधानिक हक़ सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय चिंतन शिविर में जस्टिस राजेंद्र सच्चर का उदबोधन


प्रेस विज्ञप्ति 
पूर्व न्यायधीश जस्टिस सच्चर ने कहा की देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा बढ़ता जा रहा है | सरकारें बार-बार ऐसे कानून बनती है जिनसे संविधान  प्रदत अभिव्यक्ति की आजादी का मौलिक  अधिकार नागरिकों से छीन लिया जाता है | उन्होंने टाडा, पोटा, मीसा और पूर्वोतर व जम्मू कश्मीर में लागू विशेष सशस्त्र बल कानूनों का हवाला देकर बताया कि इन कानूनों के चलते हजारों निर्दोष नागरिकों को लम्बे समय तक जेलों में रहना पड़ता है | जस्टिस सच्चर सोशलिस्ट पार्टी के तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर में 'अभिव्यक्ति की आजादी' विषय पर बोल रहे थे | देश के सभी राज्यों से आए सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं का उन्होंने आह्वान किया कि जयप्रकाश नारायण  और डॉक्टर राममनोहर लोहिया ने अभिव्यक्ति कि आजादी के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया | सोशलिस्ट पार्टी को वह संघर्ष आगे बढ़ाना चाहिए|
'शिक्षा नीति' पर अपना व्यक्तव्य रखते हुए सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भाई वैध ने कहा कि देश में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक मुफ्त, सभी के लिए और गुणवतायुक्त होनी चाहिए | यह सरकार का दायित्व है | लेकिन भारत की सरकारें शिक्षा का निजीकरण और बाजारीकरण  कर रही है | उन्होंने आह्वान किया की अभिभावकों और सचेत नागरिकों की शिक्षा को मुनाफे का व्यवसाय बनाने का पुरजोर विरोध करना चाहिए |
सोशलिस्ट पार्टी का तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर ८ जून को वर्धा में शुरू हुआ  | शिविर में 'स्वस्थ नीति' पर सोशलिस्ट युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर अभिजीत वैध, 'भाषा नीति' पर पार्टी के महामंत्री डॉक्टर प्रेम सिंह, 'पिछड़ी जातियों और आदिवासियों के सवाल' पर नूतन माकवी, नर-नारी समता' पर यामिनी चौधरी, 'विकास की वैकल्पिक अवधारणा' पर पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पन्नालाल सुराणा, 'खेती में समता तथा विकाश' पर श्रीनिवाश खान्डेवाल, 'मजदूर आन्दोलन' पर भुपेंचंद्र पाल ने अपने विचार रखे |

No comments:

Post a Comment

New Posts on SP(I) Website

लड़खड़ाते लोकतंत्र में सोशलिस्ट नेता मधु लिमए को याद करने के मायने आरोग्य सेतु एप लोगों की निजता पर हमला Need for Immediate Nationalisation ...