Tuesday, 26 March 2019

भगत सिंह और लोहिया के चिंतन का संश्लेषण जरूरी है - अरुण त्रिपाठी

24 मार्च 2019
प्रेस रिलीज़

शहीदी दिवस और लोहिया जयंती पर सोशलिस्ट पार्टी का आयोजन

23 मार्च 2019 को शहीदी दिवस और लोहिया जयंती के अवसर पर अरुण कुमार त्रिपाठी ने 'सामाजिक चेतना के विकास में भगत सिंह और लोहिया के योगदान' विषय पर एकल व्यक्तव्य दिया। कार्यक्रम का आयोजन सोशलिस्ट पार्टी ने गांधी शांति प्रतिष्ठानदिल्ली में किया था. कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेश पूरी ने और विषय प्रवर्तन डॉ. प्रेम सिंह ने किया.

अरुण कुमार त्रिपाठी ने डॉ. लोहिया को भगत सिंहगांधी और आंबेडकर की त्रिवेणी बताते हुए कहा कि उनके चिंतन में इन तीनों संश्लेषण मिलता है. उन्होंने ने समाजवाद शब्द से जुड़े इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि ग़दर पार्टी ने पहली बार समाजवाद शब्द को अपने घोषणापत्र शामिल किया था। इसके बाद भगत सिंह और उनके साथियों ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना में 'सोशलिस्टशब्द का प्रयोग किया। त्रिपाठी कहा कि भगत सिंह और गदरी बाबाओं ने 1857 की क्रांति से प्रेरणा ली थी. त्रिपाठी ने अपना वक्तव्य मुख्यत: भगत सिंह के समाजवादी विचारों पर केन्द्रित रखते हुए विस्तार से उनके लेखन की चर्चा की और  कीर्ति'प्रताप' 'मतवाला' आदि पत्र-पत्रिकाओं में छपे उनके लेखों का जिक्र किया. अरुण त्रिपाठी ने भगत सिंह के 'विश्वप्रेम', 'युवा', और 'मैं नास्तिक क्यों हूँजैसे लेखों का विशेष तौर पर उल्लेख करके बताया कि भगत सिंह जीवन में हिम्मत और मोहब्बत को सबसे बड़ा दर्ज़ा देते थे. वे मानते थे कि घृणा के बल पर न आज़ादी मिल सकती है, न समाजवादी क्रांति संभव है.
उन्होंने कहा कि भगत सिंह ने समाजवाद की विचारधारा को पूंजीवादी साम्राज्यवाद के दमन और शोषणमूलक चरित्र के विकल्प के रूप में समझा और स्वीकार किया था. भगत सिंह ने भारत की जातिवाद, छुआछूत, साम्प्रदायिकता जैसी समस्याओं पर भी समाजवादी नज़रिए से विचार किया था. त्रिपाठी ने कहा कि डॉ. लोहिया की सप्तक्रांति में भगत सिंह के क्रन्तिकारी विचारों का संश्लेष मिलता है. इसलिए नवसाम्राज्यवाद से मुक्ति पाने के लिए इन दोनों विचारकों को साथ रखने की जरूरत है.  

योगेश पुरी ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कहा कि अरुण त्रिपाठी ने विषय पर बहुत विस्तार से विचार रखे हैं. यह रोचक है कि अरुण जी ने भगत सिंह और डॉ. लोहिया सहित आज़ादी के आंदोलन की प्रमुख
हस्तियों के बीच विवाद बढाने के बजाय उन्हें साथ लेन की जरूरत पर बल दिया है. कार्यक्रम का संचालन डॉ. निरंजन महतो और धन्यवाद ज्ञापन आकाशदीप ने किया।

डॉ. हिरण्य हिमकर
(कार्यक्रम संयोजक)  

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