सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)
9 नवंबर 2016
प्रेस रिलीज
पांच सौ और हजार के नोटों पर पाबंदी : मोदी का एक और तमाशा
पांच
सौ और हजार के नोट अचानक बंद करके सरकार और समर्थक दावे कर रहे हैं कि इस कदम से
भ्रष्टाचार, कालाधन, कालाबाजारी, टैक्स चोरी, प्रोपर्टी की कीमतों में बनावटी उछाल के साथ सीमा-पार के आतंकवाद की समस्या पर
भी लगाम लग जाएगी। ये बडबोले दावे ही इस कदम के खोखलेपन को जाहिर कर देते हैं। यह
फैसला दरअसल, विदेशों में जमा काला धन नहीं लाने की सरकार की
नाकामी को लोगों की निगाह से हटाने की कवायद है। क्योंकि चारों तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी का मजाक बन रहा था कि वे कब प्रत्येक भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपया
जमा कराने जा रहे हैं।
मोदी
देश के पहले तमाशगीर प्रधानमंत्री हैं। सरकार की हर मोर्चे पर बार-बार होने वाली विफलता
से लोगों का ध्यान हटाने के लिए वे हर बार नया तमाशा खडा करते हैं। इस बार का तमाशा
कुछ ज्यादा ही बडा लगता है। सरकार ने जनता को इस योजना के खर्च और उपलब्धि का कोई
आंकडा/अनुमान नहीं बताया है।
बाजीगर की तरह सीधे डुगडुगी बजा दी है। अचानक थोपे गए इस फैसले से सबसे ज्यादा परेशानी
उन मेहनतकश गरीबों को उठानी पड रही है जिन्हें नवउदारवादी अर्थव्यवस्था ने हाशिए
पर पटका हुआ है।
सोशलिस्ट
पार्टी का मानना है कि काला धन नवउदारवादी नीतियों का अनिवार्य नतीजा है। पूरी दुनिया
के स्तर पर यह देखा जा सकता है। जो सरकार नवउदारवादी नीतियों को पिछली सरकारों से
ज्यादा तेजी से चला रही है, उसका काला धन खत्म करने का
दावा सिद्धांतत: गलत है। सरकार के इस
फैसले का वही राजनीतिक पार्टी या नागरिक समर्थन कर सकते हैं जो पूंजीवादी आर्थिक नीतियों
और विकास के समर्थक हों।
डॉ. प्रेम सिंह
महासचिव/प्रवक्ता
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