Sunday, 23 September 2018

राफेल विमान सौदा : अम्बानी को फायदा पहुंचाने की सच्चाई फिर उजागर

23 सितम्बर 2018
प्रेस रिलीज़



फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलेंदे के बयान से एक बार फिर यह सच्चाई सामने आ गई है कि राफेल विमान सौदे में भारत सरकार ने उद्योगपति अनिल अम्बानी की कंपनीरिलायंस डिफेंस लिमिटेड को फ्रांस की डसाल्ट एविएशन का ऑफसूट पार्टनर बनवाने में सीधी भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत सरकार का पर्याय हैं, यह राजनैतिक पार्टी के तौर पर भाजपा के लिए भी एक कड़वी सच्चाई है. राफेल विमान सौदे में उन्होंने फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति से सीधे बात की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से पहले अम्बानी के लिए काम करते हैं, यह हकीक़त रिलायंस जियो सिम का नरेंद्र मोदी के फोटो सहित प्रचार करने से लेकर केवल कागज़ पर मौजूद रिलायंस जियो इंस्टिट्यूट को 'एमिनेंट' का दर्ज़ा देने तक सबके सामने आ चुकी है.   

सोशलिस्ट पार्टी की मांग है कि सरकार राफेल विमान सौदे पर लीपापोती करने की बजाय सच्चाई को स्वीकार करे. वह देश की जनता से कहे कि उसे 4000 से ऊपर विमान बनाने का 70 साल का अनुभव रखने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिंदुस्तान एअरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बजाय राफेल सौदे को हथियाने की नीयत से बनाई गई कागज़ी कंपनी रिलायंस डिफेंस लिमिटेड पर ज्यादा भरोसा है. इसका सीधा मतलब होगा कि वर्तमान सरकार देश की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के बजाय प्राइवेट कंपनियों पर भरोसा करती है. या फिर सरकार संयुक्त संसदीय समिति का गठन करके पूरे मामले की जांच कराये जिसमें फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति समेत सभी सम्बद्ध पक्षों की गवाही हो. निष्पक्ष जांच के लिए जरूरी है कि प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और वित्तमंत्री जांच पूरी होने तक अपने पदों से इस्तीफ़ा दें.

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोपों में जिस तरह की भाषा का प्रयोग हो रहा है, सोशलिस्ट पार्टी उस पर अपना ऐतराज़ दर्ज करती है. यह सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद की गरिमा को आघात पहुंचाया है. लेकिन इससे उनकी जगह लेने को आतुर नेताओं को राजनीतिक विमर्श का स्तर गिराने की छूट नहीं मिल जाती.   

सोशलिस्ट पार्टी आरएसएस मुखिया, जो अपने विचार इधर कुछ ज्यादा ही व्यक्त कर रहे हैं, से पूछना चाहती है उनकी राफेल विमान सौदे को लेकर क्या राय है? क्या वे वर्तमान सरकार के रक्षा-क्षेत्र में सौ प्रतिशत विदेशी निवेश के फैसले के बाद पूरी रक्षा-व्यवस्था को प्राइवेट कंपनियों के हाथ में देने की नीति का समर्थन करते हैं? सोशलिस्ट पार्टी भाजपा नीत एनडीए सरकार में शामिल सभी दलों/नेताओं से भी इस मामले में अपना पक्ष जनता के सामने रखने का निवेदन करती है ताकि वह किसी तरह के भुलावे में न आए. लोकतंत्र में सत्ता पक्ष या विपक्ष द्वारा जनता को भुलावे में रखना उसके साथ विश्वासघात करना है.

डॉ. प्रेम सिंह
अध्यक्ष            

No comments:

Post a Comment

New Posts on SP(I) Website

लड़खड़ाते लोकतंत्र में सोशलिस्ट नेता मधु लिमए को याद करने के मायने आरोग्य सेतु एप लोगों की निजता पर हमला Need for Immediate Nationalisation ...