प्रैस निमंत्रण
अंतिम बादशाह बहादुरशाह जफर के अवशेष भारत लाए जाएं।
सोशलिस्ट पार्टी भारत सरकार से मांग करती है कि वह हिंदुस्तान के आखिरी बादशाह बहादुरशाह जफर के पार्थिव अवशेष रंगून से भारत लाए। इस बाबत पार्टी राष्ट्रपति को जल्दी ही एक विस्तृत ज्ञापन देगी। पार्टी ने फैसला किया है कि आगामी 11 मई को उसके कार्यकर्ता दिल्ली में इस मांग को लेकर जंतर-मंतर पर एक दिन का धरना देंगे। पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेषन 17-18 मई 2013 को त्रिवेंद्रम में होने जा रहा है। अधिवेशन में पार्टी इस मांग को पूरा कराने के लिए देशव्यापी आंदोलन का ऐलान करेगी।
सोशलिस्ट पार्टी के प्रेरणास्रोत चिंतकों में एक डाॅ. राममनोहर लोहिया का कहना था कि नेताओं का अंतिम संस्कार जिस देश में उनकी मृत्यु हो, उसी देश में कर देना चाहिए। सोशलिस्ट पार्टी विश्व भाईचारे के लिए लोहिया की इस मान्यता को स्वीकार करती है। लेकिन बहादुरशाह जफर का मामला अलग है। ब्रिटिश साम्राज्यशाही द्वारा उन्हें जंजीरों में जकड़ कर तत्कालीन बर्मा की राजधानी रंगून ले जाया गया था। वहीं 7 नवंबर 1862 को उनका देहांत हुआ। देशभक्त और आला शायर बहादुरसहाह जफर ने बड़े दर्द के साथ कहा था:
‘‘दिन जिंदगी के खत्म हुए, शाम हो गई,
फैला के पांव सोएंगे कुंज-ए-मजार में।
कितना है बदनसीब जफर दफन के लिए,
दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में।
सोशलिस्ट जफर के अवशेष वापस लाने की मांग को सस्ता भावनात्मक मुद्दा नहीं बनाना चाहती। वे हमारे पहले स्वतंत्रता संग्राम के नेता और हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं। लिहाजा, उनके अवशेष वापस लाना आजाद भारत की सरकार का फर्ज बनता है। साथ ही सभी हिंदुस्तानियों को इस मांग का समर्थन करना चाहिए ताकि सरकार पर दबाव बन सके। पार्टी वरिष्ठ पत्रकार सईद नकवी साहब का शुक्रिया करती है जो इस मुद्दे को काफी समय से उठाते आ रहे हैं।
डाॅ. प्रेम सिंह
महासचिव व प्रवक्ता
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