Sunday 10 December 2017

डोनाल्ड ट्रम्प की यरुशलम संबंधी घोषणा पर सोशलिस्ट पार्टी का बयान

9 दिसम्बर 2017


प्रेस रिलीज़

डोनाल्ड ट्रम्प की यरुशलम संबंधी घोषणा पर सोशलिस्ट पार्टी का बयान



      सोशलिस्ट पार्टी का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यरूशलम को इजराइल की राजधानी स्वीकार करने और तेल अवीव में स्थित अमेरिकी दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित करने की एकतरफा और मनमानी घोषणा जोर-जबरदस्ती वाली और खतरनाक है. ख़ास कर ऐसे समय जबकि दुनियां पहले से कई तरह के हिंसक संघर्षों और विग्रहों में उलझी हुई है. इस समय पूरी दुनियां में हथियारों के सौदागरों और आतंकवादी गुटों के बीच जारी गठजोड़ के मद्देनज़र सोशलिस्ट पार्टी का यह आकलन है कि  ट्रम्प का यह फैसला न केवल पश्चिम एशिया, ख़ास कर फिलस्तीन-इजरायल में आपसी झगड़ों को तेज़ करेगा और वहां की पहले से नाज़ुक हालातों में जीने वाली वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को और असुरक्षित बनाएगा, बाकी दुनिया के साधारण निर्दोष नागरिकों के जीवन को भी असुरक्षित बनाने वाला सिद्ध होगा.
      सोशलिस्ट पार्टी के विचार में ट्रम्प ने यह फैसला घरेलू स्तर पर उन अंतर्विरोधों और समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए किया है जिनका वे अपने एक साल के शासन में सामना कर रहे हैं. साथ ही फिलिस्तीन-इजराइल में अपने चहेतों का व्यापार बढ़ाने की मंशा भी इस फैसले के पीछे साफ नज़र आती है. इसके साथ अमेरिका की यह दीर्घावधि नीयत भी इस फैसले के पीछे काम कर रही है कि पूंजीवाद के परवान चढ़ने पर जो संकट और विग्रह तेज़ हो रहे हैं, अमेरिका उन्हें अमेरिका और यूरोप की धरती से दूर बाकी दुनियां में धकेले रखना चाहता है.
      संयुक्त राष्ट्र परिषद् में इस फैसले पर ट्रम्प के तर्क को आगे बढ़ाते हुए वहां की राजदूत ने कहा है कि ट्रम्प का फैसला हकीक़क का बयान भर है. इसका मतलब है कि ट्रम्प फिलस्तीन-इजराइल विवाद में अभी तक स्वीकृत द्वि-राष्ट्र के फैसले को नहीं मानते हैं, जिसमें यरुशलम शहर फिलिस्तीन और इजराइल दोनों देशों की राजधानी होगा. दरअसल, यह एक बड़ी छलांग है जो अमेरिका ने फिलस्तीन-इजराइल विवाद पर लगायी है. इसमें फिलस्तीन-इजराइल विवाद पर उसकी नीयत खुल कर सामने आ गई है. वह नीयत है : जो हकीक़त है, यानी फिलिस्तीन, उसे मिथक बनाना; और जो मिथक है, यानी इस्रायल, उसे हकीकत बनाना!
      यह एक अच्छी आशा की किरण है कि संयुक्त राष्ट्र समेत दुनियां के कई देशों ने, जिनमें अमेरिका के सहयोगी भी हैं, अम्रेरिका के इस फैसले का विरोध किया है. सभी ने एक स्वर से फैसले को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों, संधियों, समझौतों, जो समय-समय पर इस जटिल समस्या पर स्थापित प्रावधानों के तहत विश्व मंचों पर लिए गए हैं, के विपरीत कहा है.
      सोशलिस्ट पार्टी विश्व समुदाय से, बराबरी, स्वतंत्रता और लोकतंत्र की समझदारी से परिचालित अमेरिका के नागरिकों समेत, अपील करती है की वह डोनाल्ड ट्रम्प पर यह फैसला वापस लेने के लिए दबाव डालें. जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् और दुनियां के कई देशों के नुमाइन्दों का मानना है, फ़िलिस्तीन-इजराइल विवाद का जल्द से जल्द समाधान दोनों देशों के बीच द्वि-राष्ट्र के स्वीकृत सिद्धांत के आधार पर निकला जाना चाहिए. यही एक समाधान है जो इस इलाके के नागरिकों, और सुरक्षा कर्मियों को भी, प्रताड़ना और हिंसा की लम्बी पीड़ा से निजात दिलाएगा.

डॉ. प्रेम सिंह
अध्यक्ष 

No comments:

Post a Comment

New Posts on SP(I) Website

लड़खड़ाते लोकतंत्र में सोशलिस्ट नेता मधु लिमए को याद करने के मायने आरोग्य सेतु एप लोगों की निजता पर हमला Need for Immediate Nationalisation ...