7 अगस्त 2018
प्रेस विज्ञप्ति
भारत छोड़ो आंदोलन की 76वीं सालगिरह के मौके पर
'शिक्षा और रोजगार दो वर्ना गद्दी छोड़ दो' रैली
9 अगस्त 2018
रैली सुबह 12 बजे मंडी हाउस से चल कर संसद मार्ग
पहुंचेगी
संसद मार्ग पर जनसभा होगी
9
अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन/अगस्त क्रांति की शुरुआत हुई. गांधीजी के 'करो या
मरो' के आह्वान पर भारत की 20 प्रतिशत जनता ने इस आंदोलन में सक्रिय हिस्सेदारी की.
ब्रिटिश हुकूमत ने करीब 50 हज़ार देशभक्तों को मारा. भारत के क्रन्तिकारी आंदोलन की
धारा भारत छोड़ो आंदोलन में समाहित हो गई और यह साम्राज्यवादी गुलामी के खिलाफ
निर्णायक संघर्ष साबित हुआ. भारत की आज़ादी के प्रवेशद्वार इस आंदोलन का नेतृत्व
समाजवादी नेताओं ने किया. 'भारत छोड़ो' नारे की रचना युसुफ मेहर अली ने की थी.
डॉक्टर
राममनोहर लोहिया ने कहा कि 9 अगस्त भारतीय जनता का दिन है और 15 अगस्त भारतीय
राज्य का दिन है. उनका मानना था कि 9 अगस्त निहत्थी जनता के संघर्ष के इतिहास का
पहला दिन है. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की 25वीं सालगिरह (9 अगस्त 1967) पर इच्छा
ज़ाहिर की थी कि भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं सालगिरह इतने विशाल पैमाने पर मनाई जाये
कि 26 जनवरी का गणतंत्र दिवस भी फीका पड़ जाए. आप जानते हैं 50वीं सालगिरह 9 अगस्त
1992 को पड़ी. यह वह समय था जब संविधान की मूल संकल्पना के बरखिलाफ देश में
नवसाम्राज्यवाद का दरवाजा खोलने वाली नई आर्थिक नीतियां 1991 में लागू की जा चुकी
थीं. इसी के साथ 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था. ज़ाहिर है, अगस्त
क्रांति की 50वीं सालगिरह को भारतीय जनता के दिन के रूप में याद नहीं किया गया.
तब
से अब तक - डंकल प्रस्तावों से लेकर रक्षा क्षेत्र में 100 विदेशी निवेश के फैसले
तक - शासक जमातें देश के संविधान को दरकिनार करती गई हैं. नीति-निर्धारण का काम
विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोश, विश्व व्यापार संगठन, विश्व आर्थिक मंच
जैसी नवउदारवाद की पुरोधा वैश्विक संस्थानों के आदेश पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और
बड़े कार्पोरेट घरानों के हित में कर रही हैं.
सोशलिस्ट पार्टी का नारा समता और भाईचारा
डॉ. प्रेम सिंह
अध्यक्ष
No comments:
Post a Comment