10 दिसंबर 2018
प्रेस रिलीज़
सोशलिस्ट पार्टी बिहार सरकार से मांग करती है कि बिहार के सीतामढ़ी में दुर्गा पूजा के अवसर पर 20 अक्टूबर 2018 को हुए साम्प्रदायिक दंगे की न्यायिक जांच कराई जाए। पार्टी का मानना है कि बुजुर्ग ज़ैनुल अंसारी की हत्या कर खुलेआम जनता और प्रशासन के सामने जला देने जैसी घटना सरकारी संरक्षण या संलिप्तता के बिना संभव नही है। यह प्रशासन की अक्षमता और लापरवाही का सीधा मामला तो है ही। घटनाओं की श्रंखला से लगता है कि दंगे के पीछे कुछ राजनीतिक सफेदपोशों की सुनियोजित साज़िश भी हो सकती है।
लगभग तीन महीने बीत जाने के बाद भी सीतामढ़ी दंगे को लेकर कई सवाल जवाब के इंतजार में खड़े हैं : जब 19 अक्टूबर की रात से ही अफवाहों का बाज़ार गर्म था, रोड़ेबाजी और आगजनी हो चुकी थी, तो ज़िला प्रशासन ने अपनी देख-रेख में रात में ही मूर्ति का विसर्जन क्यों नही करा दिया? उसके बाद भी 20 अक्टूबर की सुबह दुर्गा की मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाते समय जब बड़ी बाजार काली पूजा समिति के लोग अपने रूट से विपरीत गौशाला चौक की तरफ बढ़े तो पुलिस प्रशासन ने उसको रोका क्यों नही? भीड़ सुबह से दोपहर तक लगभग 4 घंटे उत्पात मचाती रही तो पुलिस और सिविल प्रशासन के आला अधिकारियों ने उसे नियंत्रित क्यों नहीं किया?
लिहाज़ा, सोशलिस्ट पार्टी की बिहार सरकार से मांग है कि सीतामढ़ी दंगे की बिना और देरी किए न्यायिक जांच कराई जाए। निष्पक्ष जांच के लिए सीतामढ़ी के डी.एम. और एस.पी. को तुरंत निलंबित किया जाए। ज़ैनुल अंसारी के हत्यारों और दंगे के दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। साथ ही जिन लोगों की दुकानें और मवेशियों को लूटा गया है, सरकार उन्हें तुरंत उचित मुआवजा दिया जाए।
डॉ. प्रेम सिंह
अध्यक्ष
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