सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) राष्ट्रीय समिती बैठक ९ जून २०१२ पारित प्रस्ताव
विदेशी व्यापार से बढ़ता घाटा तथा डॉलर कि तुलना में रुपये का मूल्य घटना चिंताजनक है | लेकिन उन पर मात करने के लिए पूंजी का विदेशों से आयात बढ़ाना यह कई कॉरपोरेट संस्थाओं कि मांग देश के हित में नहीं है | देश में विदेशी पूंजी निवेश खासकर खुदरा व्यापर, बिमा, पेंशन, आदि में बढ़ने से कर में रियायतें तथा मुनाफा उनके घर जाने का प्रबंध करना होगा जिससे देश कि बड़ी लूट होगी | विदेशी पूंजी आज नहीं तो कल उनके स्वदेश लौटने वाली है | वे जो प्रौधोगिकी का प्रयोग करते है उससे रोजगार बढ़ता नहीं, बल्कि घटता है |
विदेशी व्यापार का घाटा घटाने के लिए असली इलाज आयात में कटौती करना ही हो सकता है | आज अपनी आयात में आधा हिस्सा तेल तथा सोने का है | देश में तेल की खपत कम करना पार्यावरण संतुलन तथा शहरों में हर रोज होने वाले चक्का जाम को रोकने के लिए भी जरुरी है | पेट्रोल आदि की सरकारी खपत कम करना संभव है, जरुरी भी है |
नयी गाड़ियां खरीदने का काम सरकार तीन साल तक बंद कर दे | भारत में बचत की दर ३२ प्रतिशत है, जो संतुलित विकास के लिए पर्याप्त है | विदेशी पूंजी का स्वागत करने के बजाय हम अपनी विकास की अवधारणा बदल दे, खेती तथा छोटे उधोग को बढ़ावा दें ताकि रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा पर्यावरण की रक्षा भी होगी ऐसी सोशलिस्ट पार्टी की सोची समझी राय है |
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