प्रेस विज्ञप्ति
दिल्ली विश्वविद्यालय में इस साल दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं को पहले के
मुकाबले दो से तीन गुना ज्यादा फीस भरनी पड़ रही है. कालेजों ने मनमाने तरीके से
दाखिले की फीस का अलग-अलग पैमाना रखा हुआ है. इस मामले में छात्रों और अभिभावकों
की कहीं सुनवाई नहीं है. कालेजों का रवैया है कि दाखिला लेना है तो जीतनी फीस
मांगी गई है, भरो वरना अपना रास्ता नापो! सोशलिस्ट युवजन सभा (एसवाईएस)
विश्वविद्यालय एवं कॉलेज प्रशासन के फीस-वृद्धि के इस अनुचित फैसले और रवैये का कड़ा
विरोध करती है. एसवाईएस की नज़र में फीस-वृद्धि का यह फैसला छात्र-समुदाय के हितों
के खिलाफ है. विशेष तौर पर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के हितों पर यह
भारी कुठारघात है. अनाप-शनाप फीस-वृद्धि के चलते पहले से ही कई तरह की बाधाओं से
घिरी देश की लड़कियों, विशेष तौर पर गाँव-कस्बों की लड़कियों, के लिए दिल्ली
विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा पाना और दुर्लभ हो गया है.
फीस-वृद्धि की खुली अनुमति
देने वाले कुलपति को तो मानव संसाधन मंत्री का हुक्म बजाना है. देश के राष्ट्रपति, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के विजिटर भी हैं, और प्रधानमंत्री ने फीस-वृद्धि के निर्णय पर आंखें बंद की
हुई हैं. क्योंकि उनका मकसद नवउदारवादी नीतियों के तहत देश के प्रतिष्ठित
विश्वविद्यालयों को नष्ट करके उनकी जगह विदेशी विश्वविद्यालयों व देशी कॉर्पोरेट
विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा का बाजार उपलब्ध कराना है. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण
है कि छात्र हितों की रक्षा का सर्वोच्च मंच दिल्ली विश्विद्यालय छात्र संघ (डूसू)
फीस-वृद्धि जैसे गंभीर मसले पर चुप है.
सोशलिस्ट युवजन सभा मांग
करती है कि विश्वविद्यालय/कॉलेज फीस-वृद्धि का फैसला वापस लें और जिन छात्राओं/छात्रों ने इस सत्र में दाखिला
ले लिया है उनके पैसे वापस किये जाएं.
नीरज कुमार
अध्यक्ष
सोशलिस्ट युवजन सभा
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