सोशलिस्ट युवजन सभा भारत सरकार के बजट को कार्पोरेट शक्तियों को और
मजबूत बनाने वाला बजट मानती है। ये बजट युवाओं से रोजगार का अवसर छीनने
वाला और देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार मंद करनेवाला बजट है।
भारत
सरकार के लेबर ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश के युवाओं के लिए रोजगार
हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में 18-29 साल
के जो लोग नौकरी की तलाश में थे, उनमें से सिर्फ 13.2% ही सफल हो पाए।
विमुद्रीकरण के फैसले के बाद बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां गईं। ऐसे
में बजट से उम्मीद थी कि रोजगार के नए अवसर सामने आएंगे। लेकिन युवाओं के
लिए बजट में रोजगार पैदा करने वाली कोई भी बड़ी घोषणा नहीं की गई ।
बजट
में रिटेल में एफडीआई में और तेजी लाने की बात कही गई है, निश्चित तौर पर
ये फैसला छोटे उद्योग धंधों पर बुरा असर डालनेवाला साबित होगा। ऐसे में
सरकार की तरफ रोजगारोन्मुखी बजट के लिए टकटकी लगाए युवाओं को निराशा हाथ
लगी है ।
देश में खेती छोड़ने
वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उन्हें दूसरी जगह अच्छी नौकरी नहीं
मिल रही. सर्विस सेक्टर में उतने नए रोजगार पैदा नहीं हो रहे, जिसकी देश
को जरूरत है। ऐसे में एक बड़ी आबादी को बजट से निराशा ही हाथ लगी है।
सरकार
ने बजट में उच्च शिक्षा क्षेत्र में सीटें बढ़ाने की बात तो की है, लेकिन
नए शिक्षण संस्थान खोलने का कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में ये वादा
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए कोरा साबित होगा। सोशलिस्ट युवजन सभा का
मानना है कि देश में और गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थान खोलने की दरकार
है। जिस तरफ आम बजट में ध्यान नहीं दिया गया है.
सरकार
ने बजट में ऑनलाइन एजुकेशन और डिजिटल एजुकेशन पर जोर दिया है। लेकिन इसके
लिए ना तो विधिवत घोषणा की गई है। और ना ही पर्याप्त बजट का ही आवंटन किया
गया है। ऐसे में शिक्षा के लिए की गई ये घोषणाएं भी कोरा ही साबित हो सकती
है।
सोशलिस्ट युवजन सभा का मानना है, कि बीजेपी सरकार का आम बजट शिक्षा के निजीकरण की तरफ धकेल देने वाला बजट साबित हो सकता है।
नीरज कुमार
अध्यक्ष
सोशलिस्ट युवजन सभा
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