29 सितम्बर 2017
प्रेस नोट/निमंत्रण
'भारतीय रेल बचाओ' धरना
देश की उन्नति के लिए सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित, सुविधाजनक और समय-बद्ध रेल सेवा सबसे पहली शर्त है. यह सरकार का काम है. लेकिन सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय रेलवे को पूंजीपतियों के हवाले करने में लगी है. भाजपा सरकार ने रेल बज़ट को आम बज़ट के साथ मिलाने, और पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) की आड़ में 23 रेलवे स्टेशनों को प्राइवेट हाथों में बेचने का फैसला करके रेलवे के निजीकरण की ठोस शुरुआत कर दी है.
तर्क वही दिए जा रहे हैं जो दूसरे पब्लिक सेक्टर के उद्यमों को प्राइवेट सेक्टर को बेचने पर दिए जाते हैं - कार्यकुशलता का अभाव और घाटा.रेलवे में खाली पड़े लाखों पदों को भरने, ज़रुरत के मुताबिक नई रेल पटरियां बिछाने, खस्ताहाल पटरियों का नवीकरण करने, सुरक्षा, सुविधा और समय-बद्धता के पुख्ता उपाय करने के बजाय सरकार कार्यकुशलता की कमी और घाटे का ठीकरा रेलवे पर फोड़ रही है. सरकार की रणनीति है कि पहले पब्लिक सेक्टर को बदनाम करो और फिर प्राइवेट सेक्टर को बेच दो.
सोशलिस्ट पार्टी का मानना है कि किसी भी रूप में रेलवे के निजीकरण का कोई भी फैसला संविधान-विरोधी और जनता-विरोधी है. रेलवे का निजीकरण पब्लिक सेक्टर के बाकी उद्यमों से अलग है. रेलवे देश की ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था, समन्वित संस्कृति, शिक्षा और आंतरिक सुरक्षा से गहराई से जुड़ा है. सरकार ने रेलवे बेच दिया तो समझो देश बेच दिया.
इस गंभीर संकट के मद्देनज़र सोशलिस्ट पार्टी ने रेलवे को बेचने के सरकार के फैसले के खिलाफ पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाया है. इस अभियान की शुरुआत 22 जून 2017 को दिल्ली में मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक 'भारतीय रेल बचाओ' मार्च का आयोजन करके की गई. उसी कड़ी में 2 अक्टूबर 2017 को दिल्ली के जंतर मंतर पर दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक 'भारतीय रेल बचाओ' धरना आयोजित किया गया है.
धरने की समाप्ति पर राष्ट्रपति को रेलवे का निजीकरण रोकने के लिए ज्ञापन दिया जाएगा.
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को कवर करने के अपने अखबार-पत्रिका-चैनल के रिपोर्टर/टीम को भेजने की कृपा करें.
सोशलिस्ट पार्टी का नारा समता और भाईचारा
डॉ. प्रेम सिंह
अध्यक्ष
(मोबाइल : 8826275067)
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