दिनांक : 11/09/2017
JNU में लेफ्ट छात्र संगठनों की जीत पर SYS की बधाई
नीरज कुमार , अध्यक्ष, सोशलिस्ट युवजन सभा |
सोशलिस्ट युवजन सभा (SYS) जवाहर
लाल नेहरू विश्वविद्यालय में वाम छात्र संगठनों (AISA+SFI) को
शानदार जीत की बधाई देती है। देश के माहौल को देखते हुए ये जीत बेहद अहम है। अभिव्यक्ति
की आज़ादी के दमन के इस दौर में देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के छात्रों ने
सत्ता को करारा जवाब दिया है। देश की शिक्षा में वैचारिक गढ़ माने जाने वाले विश्वविद्यालय
में वाम छात्र संगठनों की शानदार जीत उम्मीद जगाती है। लेकिन सवाल SFI और AISA के गठबंधन को लेकर है, कि आख़िर कार जब एक दूसरे की नीतियों पर सहमति ही जतानी थी, तो AISA के गठन की जरूरत क्या थी। क्या ये मान लिया जाना
चाहिए कि AISA ने SFI की नीतियों से अपनी
सहमति जता दी है।
इसके साथ ही SYS बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट एसोसिएशन (BAPSA)के तमाम
छात्र नेताओं को भी बधाई देती है, कि उन्हें चुनाव में सीट भले
हासिल नहीं हुई, लेकिन उनका प्रदर्शन शानदार रहा। अब सवाल ये
भी है कि क्या लंबे समय तक वाम छात्र संगठनों के नेतृत्व के बाद भी जेएनयू में बहुजन
और पिछड़ों के नेतृत्व और उनसे जुड़े मसलों का उभार नहीं हो पाया। लगातार दूसरे साल
BAPSA के शानदार प्रदर्शन ने ये साबित कर दिया है कि, अंबेडकर और फुले का नाम लेकर सियासत करने वाले कम्यूनिस्ट छात्र संगठन कैंपस
में सामाजिक न्याय के असली वाहक नहीं है। क्या ये वाम छात्र संगठनों के लिए आत्मचिंतन
का वक्त नहीं है?
SYS मानती है कि केन्द्र की सत्ता
की शह पर आरएसएस-भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी राष्ट्रवाद और
संस्कृति की ठेकेदार बन कर उत्पात मचाती है। उसके जवाब में कम्युनिस्ट छात्र संगठन
अभिव्यक्ति की आजादी का संघर्ष चलाते हैं। संघियों और कम्युनिस्टों के बीच छिडी
वर्चस्व की लडाई में स्वतंत्र, उदार, अहिंसक, लोकातांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष
और सामाजिक न्याय के पक्षधर छात्राएं-छात्र और संगठन स्वाभाविक
तौर पर एबीवीपी के दकियानूसी एजेंडे के खिलाफ डट कर खडे होते हैं। जिसका इस्तेमाल कम्युनिस्ट
छात्र संगठन सीमित एंजेडे के लिए करते हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि कम्यूनिस्ट छात्र
संगठनों की जीत पर क्या इससे शिक्षा के निजीकरण की जो कवायद चल रही है उसपर लगाम लग
सकेगी।
नीरज कुमार
राष्ट्रीय अध्यक्ष,
सोशलिस्ट
युवजन सभा (SYS)
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