Wednesday 10 April 2019

लोकसभा चुनाव 2019: सोशलिस्ट युवजन सभा की अपील

लोकसभा चुनाव 2019: सोशलिस्ट युवजन सभा की अपील

सोशलिस्ट युवजन सभा देश भर में फैले अपने कार्यकर्ताओं और युवाओं से अपील करती है, कि शासन के हर मोर्चे पर नाकाम रही केंद्र की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें। संगठन ये मानता है कि देश में अभी सबसे बड़ा संकट संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को बचाने की है, जिसपर मौजूदा सरकार ने 5 साल लगातार हमला किया है। मोदी सरकार का मकसद इस देश के प्रशासनिक ढांचे की बुनियाद पर हमला करना है, जिससे न्यायपालिका और चुनाव आयोग जैसी संस्थाएं भी नहीं बच पाई हैं। ये वक्त इस देश के दलितों, पिछड़ों, और महिलाओं को मुख्यधारा से काटने की साजिश में लगी सरकार को सबक सिखाने का है। ये चुनाव हमारे शासन तंत्र में अल्पसंख्यकों के भरोसे को पुनर्स्थापित करने का एक मौका है। हिंदुस्तान के अमन और भाईचारे पर ग्रहण की तरह लगे मोदी सरकार को हटाने का ये चुनाव सुनहरा मौका है। हमारा मत सत्ता के अहंकार में बेरोजगार युवाओं को पकौड़े तलवाने जैसे जुमलेबाजों को हराने के लिए है।  हमारा वोट आरक्षण के अधिकार पर कुंडली मारकर बैठे संघियों और 85 फीसदी आबादी के हक़ को डकारने का इरादा रखने वाली मनुवादियों को शिकस्त देने के लिए है। 

ये चुनाव नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी द्वारा 2014 में किए गए झूठे वादे को लेकर सवाल करने का है। हमें केंद्र सरकार से हिसाब करना है, कि क्या 5 साल में 100 स्मार्ट सिटी तैयार हो गई, क्या हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार मिला, क्या गंगा साफ हो गई, क्या कालाधन वापस आया और क्यों भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। हमें सरकार से पूछना है कि क्यों मोदी सरकार में लगातार किसानों की उपेक्षा हुई, क्यों मजदूर हितों की अनदेखी की गई। क्यों लगातार देश के किसान अलग-अलग हिस्सों में आंदोलनरत रहे।   

चुनाव की बाध्यता के तहत सभी राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी घोषणापत्र जारी कर दिए हैं। लेकिन किसी भी पार्टी ने देश में अमीरी-ग़रीबी की बढ़ती खाई को पाटने और समतामूलक समाज की स्थापना के लिए कुछ भी नहीं कहा है। देश की राजनीति और संविधान पर रोज हो रहे उदारवाद के हमले को रोकने कि लिए कुछ नहीं कहा है। किसी भी राजनीतिक दल ने देश के भविष्य युवाओं की शिक्षा और उनके रोजगार के लिए बड़े बदलाव का विज़न नहीं दिखाया है। किसी ने भी किसानों के हित के लिए बुनियादी बदलाव का कोई भी दृष्टिकोण नहीं रखा। किसी भी पार्टी ने गांधी के आखिरी आदमी की बात नहीं की है। किसी ने डॉ लोहिया के सपनों को साकार करने का विचार सामने नहीं रखा है। ना किसी ने शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की बात की है और ना ही किसी पार्टी ने रोजगार के अवसर बढ़ाने की बात की है। तथाकथिक सेकुलर राजनीति की बात करने वाली पार्टियों ने भी सच्चर कमेटी रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने की बात को अपने घोषणापत्र में जगह नहीं दी है। ऐसे में हमें सोच-समझकर अपने वोटिंग के अधिकार का इस्तेमाल करना है।

हमें अपने मताधिकार के जरिये इस देश के शिक्षण संस्थाओं की गुणवत्ता को बरकरार रखना है। हमें वोट देकर मॉब लिचिंग की घटनाओं को बयानों से बढ़ावा देने वाली सरकार के नुमाइंदो को हटाना है। हमें गौरक्षा के नाम पर तैयार हो रही हिंसक भीड़ से लोगों की हिफाजत करनी है। हमें धर्म के नाम पर समाज में दरार डालने वाली शक्तियों को कमजोर करना है। 

देश में जिन सीटों पर सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) और पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, वहां हमें पूरी ताक़त से उन्हें मजबूत करना है। इन सीटों पर हमारा एक-एक वोट केंद्र की तानाशाही और फासीवादी सरकार को कमजोर कर सकता है। इसके अलावा जिन सीटों पर हमारे समर्थन से कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं है, वहां वैकल्पिक राजनीति की वाहक, संघर्षशील, धर्मनिरपेक्ष और पूंजीवादी राजनीति का प्रतिरोध करने वाले उम्मीदवारों को हमें समर्थन करना है। सभी वैसे उम्मीदवार जो पूरे 5 साल तक समाजवाद के मूल्यों में असली आस्था रखकर नागरिक अधिकारों के लिए लड़कर सत्ता से टकराते रहे उन्हें हमारा समर्थन है।

अंत में सोशलिस्ट युवजन सभा के कार्यकर्ता और साथी समता और भाईचारा स्थापित करने के मकसद को कामयाब बनाने के लिए इस चुनाव में पूरी ताक़त लगाएं। 


नीरज कुमार 
अध्यक्ष, सोशलिस्ट युवजन सभा 

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