Friday 12 July 2013

रपट सोशलिस्ट पार्टी का द्विवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन

https://picasaweb.google.com/108557843850845403192/July172013

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का द्विवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन केरल की राजधनी तिरूवनंतपुरम में 17-18 मई 2013 को संपन्न हुआ। अधिवेषन में 20 राज्यों के 500 प्रतिनिधियों ने शिरकत की। अधिवेषन की षुरूआत झंडोत्तोलन से हुई। पार्टी के अध्यक्ष भाई वैद्य ने अधिवेषन स्थल मृणाल गोरे नगर के प्रांगण में पार्टी का झंडा फहराया। झंडोत्तोलन के बाद राष्ट्रगाान हुआ।   
राष्ट्रीय अधिवेषन की स्वागत समिति के अध्यक्ष एस राजषेखरन नायर ने प्रतिनिधयों और अतिथियों का स्वागत किया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता भाई वैद्य ने की। मुख्य अतिथि जस्टिस राजेंद्र सच्चर ने अपने उद्घाटन भाषण में पार्टी नेतृत्व और कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि पुनर्गठित सोषलिस्ट पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेषन केरल में होने का विषेष महत्त्व है। केरल के साथ समाजवादी आंदोलन का पुराना व गहरा रिष्ता है। यहीं त्रावणकौर में थानु पिलै के नेतृत्व में 1954 में पहली सोषलिस्ट सरकार बनी थी। उस सरकार के षासनकाल में हुई पुलिस फायरिंग में 8 नागरिक मारे गए थे। डाॅ. लोहिया ने ‘लोकतंत्र में गोलीबारी’ का सख्त विरोध करते हुए थानु पिलै सरकार को इस्तीफा देने के लिए कहा था। उस मुद्दे पर सोषलिस्ट पार्टी विघटन का षिकार हो गई थी लेकिन लोहिया अपनी मांग से पीछे नहीं हटे। जस्टिस सच्चर ने कहा आज जबकि देष पुलिस राज्य में बदलता जा रहा है, यूपीए सरकार पूंजीवादी नीतियों को परवान चढ़ा रही है, सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही हैं, सोषलिस्ट पार्टी ही एकमात्र विकल्प है।
उन्होंने आगे कहा कि उद्योगपतियों और नेताओं का नापाक नेक्सस भारतीय संविधान को अपने हितों के लिए तोड़-मरोड़ रहा है। देष के संविधान को नकार कर पूंजीपतियों के हित में नीतियां बनाने वाली यूपीए सरकार को देषद्रोही करार देते हुए उन्होंने सोषलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं से उसे उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो भी राजनीतिक पार्टी और सरकार देश के संविधान की उल्लंघना करके नवउदारवादी नीतियों को आगे बढ़ाती हैं, वे सभी देशद्रोही हैं।
उन्होंने भारत में चल रहे तथाकाित विकास और वृद्धि दर की हकीकत को आंकड़ों सहित प्रतिनिधियों के सामने उजागार किया। जोसेफ स्टिगलिज की किताब ‘ग्लोबलाइजेशन एंड इट्स डिसकंटंेट्स’ के हवाले से कहा कि ग्लोबलाइजेशन अमीर और गरीब देशों के बीच गैरबराबरी को बढा रहा है; साथ ही एक देश में ही अमीर और गरीब का फासला बड़ा होता जा रहा है। जस्टिस सच्चर ने तल्ख लहज़े में कहा कि विश्व के किसी मुल्क में इतनी बेशर्मी नहीं है जितनी भारत में आज देखी जा रही है। भारत सरकार मुकेश अंबानी को जेड श्रेणी की सुरक्षा दे रही है। इसका सीधा मतलब यह है कि ये सरकार पूंजीपतियों की है और स्वाभाविक तौर पर ऐसे में मजदूरों, किसानों और बरीबों के हितों की विरोधी है। जस्टिस सच्चर ने कहा कि हिंदुस्तान में पूंजीपतियों के इनवेस्टमेंट का टैक्स अमेरिका से भी कम है, जो सीधे बानगी देता है कि भारत सरकार पूंजीपतियों की पोषक और हितैषी है। पूंजीपतियों के पास भारी मात्रा में धन जमा है जिसे वे देष में नहीं निवेष करना चाहते। वे देष में विदेषी निवेष चाहते हैं ताकि अपना धन विदेषों में लगा सकें।
उन्होंनें आह्वान किया कि अब समय आ गया है ऐसी सरकार की नीतियों के खिलाफ हमें सड़क पर उतरना होगा। हमें महनतकष जनता के साथ रहना है। तभी जनता हमारे साथ चलेगी। उन्होंनें विश्वास दिलाया कि सोशलिस्ट पार्टी का वर्तमान नेतृत्व जिम्मेदारी उठाने के लिए पूरी तरह योग्य है। जस्टिस सच्चर ने जोर देकर कहा कि 2014 के आम चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के कुछ नुमाइंदे संसद में पहुंचेंगे। यह बहुत जरूरी है ताकि नवउदारवाद के हमले से चरमराई संवैधानिक व संसदीय व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके।
पार्लियामेंटरी बोर्ड के चेयरमैन पन्नाला सुराणा ने कहा कि आगामी आम चुनाव में पार्टी लगभग सभी राज्यों में अपने उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने विषेष तौर पर आग्रह किया कि पार्टी संगठन की मजबूती के लिए सभी को जुट होकर और लगातार काम करना होगा। कार्यकर्ताओं के विचारधारात्मक प्रषिक्षण के लिए हर राज्य में चिंतन षिविरों का आयोजन किया जाना जरूरी है।   
        विषेष अतिथि के रूप में आमंत्रित वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व सांसद पी. विश्वंभरन ने कहा कि सोषलिस्ट पार्टी का आखिरी राष्ट्रीय अधिवेषन 37 साल पहले केरल के कालीकट षहर में हुआ था। तब वे केरल सोषलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष थे। मेरे लिए यह बेइंतहा खुषी का मौका है कि आज फिर से केरल में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेषन इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है और मैं उसमें हिस्सा ले रहा हूं। मैं सोषलिस्ट पार्टी के साथ हूं। कई दल और नेता हैं जो सोशलिस्ट होने का दम भरते हैं। लेकिन सोशलिस्ट पार्टी ही एकमात्र उम्मीद है जो सोशलिस्ट विरासत को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। नवउदारवाद के मुकम्मल विरोध की नींव पर टिकी यह पार्टी ही जे. पी. और लोहिया के सपनों का भारत बना सकती है। पूर्व विधायक एमके प्रेमनाथ, केरल जनता दल (एस) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर रामचंद्र कुरुप और समता क्रांति दल के वरिष्ठ नेता प्रषांत मिश्रा ने भी अपने विचार रखे और सोशलिस्ट पार्टी की मजबूती की कामना की। केरल के वरिष्ठ नेता एनके गंगाधरन ने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी से जुड़कर वे गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंनें भरोसा दिलाया कि तमाम सोशलिस्ट साथी सन् 77 और उसके बाद की घटनाओं और गलतियों को भूलकर सोशलिस्ट पार्टी के साथ आएंगे और उसे मजबूत बनाएंगे। जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर बी विवेकानंदन ने कहा कि नवउदारवादी नीतियों के तहत व्यवस्थित ढंग से विषमता को बढ़ाया जा रहा है। इसे केवल सोषलिस्ट पार्टी ही रोक सकती है। 
राष्ट्रीय अधिवेषन के लिए देष के कई बुद्धिजीवियों, लेखकों, कलाकारों, अधिवक्ताओं, पत्रकारों, जमीनी कार्यकर्ताओं ने अपने बधाई संदेष भेजे। उनमें जस्टिस कृष्णा अय्यर, प्रो. अनिल सदगोपाल, प्रो. कमल नयन काबरा, पीयूसीएल के अध्यक्ष प्रो. प्रभाकर सिन्हा, पीयूसीएल के उपाध्यक्ष रविकिरण जैन, गांधी षांति प्रतिष्ठान के सचिव सुरेंद्र कुमार, नाट्य निर्देषक रामगोपाल बजाज, जनता के संपादक डाॅ. जीजी पारीख, समाजवादी साथी डाॅ. सुनीलम, राकेष कुमार और संजीव साने, इंग्लैंड में ग्रीन पार्टी की नेता जेनेट, सोषलिस्ट पार्टी (लोहिया) के महासचिव संदीप मरोडि़या, एचएमएस के नेता कामरेड हरभजन सिंह सिद्धू षामिल हैं। जस्टिस कृष्णा अय्यर का विस्तृत संदेष डाॅ. प्रेम सिंह ने पढ़ा। 
    भाई वैद्य ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि समाजवाद की बुनियाद समता है लेकिन आज देश में समता को कुचला जा रहा है। सोशलिस्ट पार्टी के इस द्विदिवसीय अधिवेशन की धमक से केरल की राज्य सरकार डर गई है। उसने अलोकतांत्रिक तरीकों से अधिवेशन को असफल बनाने की निहायत घटिया कोषिष की है। हमारे मुख्य अतिथि जस्टिस सच्चर तक के कमरे की बुकिंग रद्द करना, शहर के अन्य अतिथि गृहों और संगोष्ठी कक्षों में सोशलिस्ट पार्टी की बुकिंग रद्द करना लोकतंत्र विरोधी हरकत है जिसका हम सख्त विरोध करते हैं। उन्होंने केरल के अध्यक्ष राजषेखरन नायर और सभी कार्यकर्ताओं को सरकारी अड़चनों के बावजूद बेहतरीन इंतजाम और आयोजन के लिए बधाई दी।
भाई वैद्य ने अपने भाषण में भारत समेत पूरी दुनिया के परिदृष्य का आकलन करते हुए कहा कि 21वीं सदी के पहले दशक में कम्युनिज़्म और कैपैटिलिज़्म दोनों फेल हो गए हैं। सोशलिस्ट पार्टी की पुनस्र्थापना इसी वजह से दो साल पहले हैदराबाद में की गई थी। सन् 1995 से अभी तक 2 लाख 83 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी मौत का जिम्मेदार कौन है? ऐसे सवाल सरकारों से पूछना अपराध बना दिया गया है। आज पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों पूंजीपतियों के पैरोकार हैं। भारत में 60 से 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधरित है। ऐसे में पाश्चात्य औद्योगीकरण की नीति भारत में कैसे सफल हो सकती है? ऐसे सवालों से कांग्रेस और अन्य राजनैतिक पार्टियाँ क्यों नहीं टकरातीं? माक्र्सवादी पार्टियाँ भी किसानों और आदिवासियों के प्रति उचित नजरिया नहीं रखतीं। क्योंकि उनका उत्पादन की पूंजीवादी तकनीक से विरोध नहीं है। ऐसे में सोषलिस्ट पार्टी गांधी, लोहिया और जेपी के सिद्धांतों पर आधारित विकास के समाजवादी माॅडल की वकालत करती है। सोशलिस्ट पार्टी ने पूर्ण रोजगार, केजी से पीजी तक सबको मुफ्त, समान और गुणवत्तापूर्ण षिक्षा, कृषि आधरित उद्योगों की स्थापना, सम्मिलित जम्हूरियत, जाति विध्वंस जैसी कई महत्वपूर्ण मांगों को उठाया है। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया वे इन मांगों को पूरा करने के लिए खुद संघर्ष करें।
सोषलिस्ट महिला सभा की अध्यक्ष वर्षा गुप्ते और दिल्ली सोषलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष रेणु गंभीर ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। सत्र का संचालन डाॅ. प्रेम सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि अगले 6 महीनों में देष के बाकी राज्यों मंें पार्टी की इकाइयों का गठन हो जाएगा। उन्होंने आषा जताई कि सभी जगह पार्टी की केरल जैसी मजबूत इकाइयां कायम होंगी। स्वागत समिति के संयोजक कामरेड ईवी फिलिप ने धन्यवाद ज्ञापन किया।   
       अपराह्न सत्र में राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुई। उसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पारित दो संविधान संषोधनों को स्वीकृति दी गई। पहले संषोधन के मुताबिक सक्रिय सदस्य अपनी आय का पूर्व निर्धारित 5 प्रतिषत के बजाय 1 प्रतिषत अथवा एक हजार रुपया, जो भी ज्यादा हो, देगा। दूसरे संषोधन के मुताबिक राष्ट्रीय महासचिव के पद 3 की जगह 4  होंगे। राष्ट्रीय समिति में राजनीति, अर्थनीति, षिक्षा नीति, स्वास्थ्य नीति, विदेष नीति, आंतरिक सुरक्षा नीति, पर्यावरण नीति आदि पर तैयार विस्तृत प्रस्ताव डाॅ. अभिजीत वैद्य ने रखा और महासचिव ओंकार सिंह ने समर्थन किया। कई वरिष्ठ और युवा साथियों ने प्रस्ताव पर चर्चा की। कुछ संषोधनों के साथ प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में पूंजीवादी माॅडल की जगह समाजवादी माॅडल लागू करने, सभी को केजी से पीजी तक मुफ्त, समान और गुणवत्तापूर्ण षिक्षा देने, उत्तर-पूर्व से अफ्सपा हटाने, चीन के साथ संबंधों पर पुनर्विचार करने, बहादुर षाह जफर के अवषेष रंगून से वापस भारत लाने जैसे मुद्दों/मांगों पर जोर दिया गया है। भूपेंद्र पाल के विषेष प्रस्ताव - बढ़ती विषमता को कुछ हद तक नियंत्रित करने के उद्देष्य से अगले पांच साल तक सातवां वेतन आयोग नहीं गठित किया जाना चाहिए - को स्वीकृति प्रदान की गई। सोषलिस्ट महिला सभा के प्रस्ताव - आधुनिक भारत की पहली महिला अध्यापिका सावित्री बाई फुले को भारतरत्न से सम्मानित किया जाए - को भी स्वीकृति प्रदान की गई। सत्र का संचालन डाॅ. प्रेम सिंह और नुरुल अमीन ने किया। षाम को केरल के षास्त्रीय नृत्य कथकली का प्रदर्षन हुआ।
18 मई को सुबह सोषलिस्ट युवजन सभा और सोषलिस्ट महिला सभा के विषेष सत्र क्रमषः डाॅ. अभिजीत वैद्य और वर्षा गुप्ते की अध्यक्षता में संपन्न हुए। पार्टी के दोनों महत्वपूर्ण मंचों की अभी तक की गतिविधियों की रपट क्रमषः निरंजन महतो और वर्षा गुप्ते ने पेष की। अलग-अलग राज्यों की रपट वहां के अध्यक्षों/संयोजकों ने प्रस्तुत की। दोनों मचों ने अपने प्रस्ताव रखे जिन्हें चर्चा के बाद पारित किया गया। राष्ट्रीय समिति में वर्ष 2013 से वर्ष 2015 तक राष्ट्रीय पदाधिकारियों और राट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों का चुनाव संपन्न हुआ। चुने गए पदाधिकारियों और कार्यकारिणी सदस्यों की घोषणा चुनाव अधिकारी एनके गंगाधरन ने की। पंजाब से पार्टी के वरिष्ठ नेता बलवंत सिंह खेड़ा और लखनऊ के चर्चित मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद षोएब को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुना गया है। (पदाधिकारियों और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों की सूची संलग्न है।) साथी जाॅर्ज जैकब ने अधिवेषन को सफल बनाने में दिन-रात मेहनत करने वाले केरल के साथियों को मंच पर बुला कर परिचय कराया। केरल सोषलिस्ट पार्टी के महासचिव ईके श्रीनिवासन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। अधिवेषन की समाप्ति के बाद नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक संपन्न हुई, जिसमें पार्टी के अध्यक्ष भाई वैद्य ने नए पदाधिकारियों और कार्यकारिणी सदस्यों का स्वागत किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अगली बैठक दिल्ली में 11 अगस्त 2013 को सुबह 11 बजे से गांधी षांति प्रतिष्ठान में होगी। 18 मई की षाम को त्रिवेंद्रम षहर के गांधी चैक पर आमसभा का आयोजन हुआ, जिसे जस्टिस राजेंद्र सच्चर और भाई वैद्य ने संबोधित किया। आमसभा के बाद कोट्टयम की नंदन पट्टू टीम के कलाकारों ने मलयालम लोकगीतों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। 

डाॅ. प्रेम सिंह                                                            

No comments:

Post a Comment

New Posts on SP(I) Website

लड़खड़ाते लोकतंत्र में सोशलिस्ट नेता मधु लिमए को याद करने के मायने आरोग्य सेतु एप लोगों की निजता पर हमला Need for Immediate Nationalisation ...