प्रेस विज्ञप्ति

फीस-वृद्धि की खुली अनुमति
देने वाले कुलपति को तो मानव संसाधन मंत्री का हुक्म बजाना है. देश के राष्ट्रपति, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के विजिटर भी हैं, और प्रधानमंत्री ने फीस-वृद्धि के निर्णय पर आंखें बंद की
हुई हैं. क्योंकि उनका मकसद नवउदारवादी नीतियों के तहत देश के प्रतिष्ठित
विश्वविद्यालयों को नष्ट करके उनकी जगह विदेशी विश्वविद्यालयों व देशी कॉर्पोरेट
विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा का बाजार उपलब्ध कराना है. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण
है कि छात्र हितों की रक्षा का सर्वोच्च मंच दिल्ली विश्विद्यालय छात्र संघ (डूसू)
फीस-वृद्धि जैसे गंभीर मसले पर चुप है.
सोशलिस्ट युवजन सभा मांग
करती है कि विश्वविद्यालय/कॉलेज फीस-वृद्धि का फैसला वापस लें और जिन छात्राओं/छात्रों ने इस सत्र में दाखिला
ले लिया है उनके पैसे वापस किये जाएं.
नीरज कुमार
अध्यक्ष
सोशलिस्ट युवजन सभा
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