Monday 20 August 2012

मारुती के मजदूरों को निकालने का आदेश मजदूर और लोकतंत्र विरोधी

सोशलिस्ट पार्टी मारुती कंपनी के प्रबंधन द्वारा 500 स्थायी मजदूरों को निकालने के फैसले का विरोध करती है । यह फैसला न केवल मजदूर विरोधी है, लोकतंत्र विरोधी भी है । क्योंकि यह फैसला एकतरफा है । प्रबंधन को पूरी तरह बचा कर कंपनी में 18 जुलाई की हिंसा के लिए अकेले और पूरी तरह जिम्मेदार मान लिया है । जिस तेजी से फैसला किया गया है उसमें लगता नहीं कि मजदूरों को अपनी सफाई में कुछ भी कहने का मौका दिया गया । कंपनी में हुई हिंसा के लिए केवल मजदूरों के खिलाफ जाँच की गई है । जिन अधिकारीयों ने मजदूरों पर बाउंसरों से हमला करवाया उनके खिलाफ भी जांच की जानी चाहिए और हिंसा के लिए उन्हें भी दण्डित किया जाना चाहिए । जिस सुपरवाइजर ने दलित मजदूर को जातिसूचक अपशब्द कहे, उस पर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए । महाप्रबंधक अवनीश कुमार देव की दुखद मौत में स्थिति को विस्फोटक बनाने वाले प्रबंधन की बराबर की भूमिका है ।

कंपनी के इस एकतरफा फैसले से श्रम के ऊपर पूंजी की निरंकुश सत्ता का पता चलता है । हरियाणा सरकार मजदूरों के हितों की पूरी तरह अनदेखी करके कंपनी का साथ दे रही है । उसने बड़ी संख्या में कंपनी को पुलिस बल मुहैया कराया है लेकिन एक बार भी नहीं पूछा की कंपनी ने मजदूरों पर हमला करवाने के लिए बाउंसर किस कानून के तहत रखे है ?

सोशलिस्ट पार्टी का मानना है की इस तरह के फैसलों से उद्योगों में स्थायी शांति बहल नहीं हो सकती । मजदूरों को बराबर का हक़दार मान कर और श्रम कानूनों को उनके हित में सुधार कर शान्ति का माहौल बनाये रखा जा सकता है । पार्टी की मांग है कि निकाले गए सभी मजदूरों को उनके रोजगार पर वापस रखा जाये । स्थानीय गावों और शहर के नागरिकों को मजदूरों के हक़ में आवाज उठानी चाहिए ।

प्रेम सिंह
महासचिव व प्रवक्ता

1 comment:

  1. I fully support your views.Our party must oppose the illegal termination of the services of these workers.
    PNV Krishnan
    Pune

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